कल आज कल

कल आज कल


कल आज और कल की कश्मकश

उलझा है मन इसमें हरएक पल

ऐसी उलझन के ना आए इसे कल

जानता है सबकुछ फिर भी रहता बेकल।


कल जो बीत गया सो बात गई

बस कुछ यादों की लड़ियां छूट गई

कल से सीख कर ही तो आज बना

फिर कल पे काहे को बेकार कलपना।


आज, एक अवसर एक मौका

कल से जो सीखा उसे परखने का

आज के बीज से ही तो कल पनपेगा

कल जो होगा, फिर अच्छा ही होगा।


ये कर्मभूमि तेरी, कभी बीता कल नहीं नापती

जो है, जो किया आज तुमने उसे ही भांपती

हरेक आज पर आने वाला कल निर्धारित है

और तेरा आज गए कल पर आधारित है।


इसलिए छोड़ दो चिंता कल और कल की

और थाम लो दामन आज के पल पल की

तेरा आज ही इस जीवन का यथार्थ है

सच्चे मन से कर्म करेगा तभी जीवन का अर्थ है।


आभार – नवीन पहल – ०९.०९.२०२३ 🙏🙏

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 


   12
6 Comments

खूबसूरत भाव और संदेश

Reply

Sushi saxena

09-Sep-2023 08:59 PM

Nice 👍🏼

Reply

Varsha_Upadhyay

09-Sep-2023 02:48 PM

Nice 👌

Reply